Inactive और Dormant अकाउंट में क्या होता है फर्क, बंद हो चुके अकाउंट को फिर से कैसे शुरू कराएं?
प्राइवेट नौकरी करने वाले जब नौकरी बदलते हैं तो कई बार अलग-अलग कंपनियां उनके अकाउंट अलग-अलग बैंकों में खुलवा देती हैं. ऐसे में कुछ बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया जाता है और कुछ ऐसे ही पड़े रहते हैं. इन स्थितियों में आपके अकाउंट के Inactive या Dormant होने की नौबत आती है.
Image- Reuters
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नौकरीपेशा लोगों के एक से ज्यादा बैंक अकाउंट होना कोई बड़ी बात नहीं है. खासकर वो लोग जो प्राइवेट नौकरी करते हैं. प्राइवेट नौकरी करने वाले जब नौकरी बदलते हैं तो कई बार अलग-अलग कंपनियां उनके अकाउंट अलग-अलग बैंकों में खुलवा देती हैं. ऐसे में कुछ बैंक अकाउंट का इस्तेमाल किया जाता है और कुछ ऐसे ही पड़े रहते हैं. मतलब न तो लोग उन्हें बंद करवाते हैं और न ही उनसे किसी तरह का ट्रांजैक्शन करते हैं. इन स्थितियों में आपके अकाउंट के Inactive या Dormant होने की नौबत आती है. आइए आपको बताते हैं कि Inactive और Dormant अकाउंट में में क्या अंतर होता है.
दोनों के बीच का फर्क समझिए
जब लगातार 12 महीनों तक किसी अकाउंट से लेन-देन नहीं किया जाता है तो उसे निष्क्रिय खाता (Inactive Account) मान लिया जाता है. निष्क्रिय अकाउंट को तो आप नया लेनदेन करके फिर से एक्टिव कर सकते हैं या फिर इंटरनेट बैंकिंग के जरिए, कस्टमर केयर पर बात करके या बैंक अधिकारी से मिलकर उसे फिर से एक्टिव करवा सकते हैं. लेकिन जब लगातार 24 महीने तक यानी दो साल तक अकाउंट से ट्रांजैक्शन नहीं किया जाता तो उसे डॉर्मेंट अकाउंट (Dormant Account) की श्रेणी में डाल दिया जाता है. डॉर्मेंट अकाउंट अकाउंट से न तो आप पैसे निकाल सकते हैं और न ही उसमें जमा कर सकते हैं. इसे एक्टिव करवाने के लिए आपको बैंक जाना पड़ता है.
डॉर्मेंट अकाउंट को एक्टिवेट कराने का तरीका
डॉर्मेंट अकाउंट को एक्टिवेट कराने की प्रक्रिया ऑनलाइन नहीं है, इसके लिए आपको बैंक में जाकर किसी अधिकारी या मैनेजर से मिलना होगा. वहां आपको उन्हें लिखित में डॉर्मेंट अकाउंट को फिर से एक्टिव करने के लिए एप्लिकेशन देना होता है. इसके साथ ही आपसे एक बार फिर से KYC (Know Your Customer) फॉर्म भरने के लिए कहा जाता है. इस फॉर्म को भरकर आपको अपने आधार कार्ड, पैन कार्ड और जो भी जरूरी दस्तावेज मांगे जाएं, उनकी फोटोकॉपी पर हस्ताक्षर करके जमा करनी होती है. एक-दो दिनों बाद आपका अकाउंट फिर से चालू हो जाता है. इसके लिए बैंक आपसे किसी तरह का चार्ज नहीं लेता है.
अकाउंट में हैं पैसे और वो बन जाए डॉर्मेंट तो....
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मान लीजिए कि आपके अकाउंट में थोड़ी रकम है और अकाउंट को दो साल तक इस्तेमाल न करने के कारण डॉर्मेंट श्रेणी में डाल दिया जाए, तो भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. इस स्थिति में आपकी रकम डूबती नहीं है. वो एकदम सुरक्षित रहती है और सेविंग अकाउंट के हिसाब से उसमें ब्याज जुड़ता रहता है. जब आप अपने अकाउंट को फिर से एक्टिव करवाते हैं, तब आप इस रकम का लेन-देन फिर से कर सकते हैं.
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